कलयुग की सबरी धनबाद की 85 वर्षीय सरस्वती अग्रवाल, 30 साल बाद अयोध्या में ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा के दिन तोड़ेंगी मौन 

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22 जनवरी 2024, इस दिन का हर भारतीय को बड़ी बेसब्री से इंतजार है. यह सभी भारतीयों के लिए एक अद्वितीय और यादगार घड़ी होने वाला है. क्योंकि यही वो तारीख है जिस दिन अयोध्या में रामलला का प्राण प्रतिष्ठान होगा. देशभर में इस मौके को दिवाली के रूप में मनाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी भारतीयों से इस दिन घर में घी के दिये जलाने की अपील की है. इसी अवसर पर, झारखंड के धनबाद की रहने वाली सरस्वती अग्रवाल  अपने 30 साल के मौन तोड़ेगी.

धनबाद की सरस्वती अग्रवाल ने 30 साल पहले बाबरी विवाद के बाद प्रण लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनेगा, तब तक वह मौन बनी रहेंगी. इस समय उनकी उम्र 85 साल है. अब, राम मंदिर के निर्माण के बाद, उन्होंने तय किया है कि वो 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन ‘राम-नाम’ बोलकर अपने मौन को खत्म करेंगी.

बाबरी विवाद के बाद किया था मौन धारण

सरस्वती देवी बहुत ही आध्यात्मिक हैं और वो अपना ज्यादा समय तीर्थ स्थलों पर ही बीताती हैं. इस दौरान भी वो मौन बनी रहती हैं. मिली जानकारी के अनुसार सरस्वती देवी बोलने के बजाय पेन और कॉपी का सहारा लेती हैं. सरस्वती देवी के छोटे बेटे ने बताया कि उनकी मां ने बाबरी विवाद के बाद मौन धारण किया था और उन्होंने यह प्रण लिया कि जब तक प्रभु राम मंदिर में विराजमान नहीं होंगे, तब तक वह मौन बनी रहेंगी.

रामलला ने बुलाया, 30 साल बाद टूटेगा मौन

सरस्वती देवी अपने परिवार से केवल इशारों में ही बातचीत करती हैं, कहा जाता है कि सरस्वती देवी राम जन्मभूमि के अध्यक्ष नित्य गोपाल दास के पास आई थी और उन्होंने लिखा, “मेरा जीवन धन्य हो गया. रामलला ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अयोध्या बुलाया है, 30 साल के बाद, मेरा मौन ‘राम-नाम’ के साथ टूटेगा.

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