लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के साथ ही चुनावी समर की शुरुआत हो चुकी है. देश के राष्ट्रीय पार्टियों से लेकर क्षेत्रीय पार्टियों ने भी अपने उम्मीद्वार उतारने शुरू कर दिए हैं. वहीं, प्रत्याशियों ने भी अपने लोकसभा क्षेत्र में भ्रमण करना शुरू कर दिया है. लेकिन इन सब के बीच एक अहम सवाल जिसका जवाब फिलहाल शायद किसी के पास ना हो लेकिन वो सवाल भी लोकतंत्र को सही मायने में बचाए रखने में उतना ही जरूरी है जितना की तय समय पर चुनाव का होना. और वो सवाल है
क्या लोकतंत्र में अपने घरों से बाहर रहकर पढ़ रहे, नौकरी कर रहे लोगों को झारखंड की राजनीति में क्या कमी नजर आती है और क्या बदलाव होना चाहिए?
इसी सवाल के जवाब की तलाश में हमने झारखंड से बाहर रह रहे कुछ लोगों से बात की है. ऐसे में उनका जवाब क्या आया हम एक-एक शब्द को उन्हीं की भाषा में आपके सामने रख देते हैं. आपको बता दें कि हमने उनके लिखे गए जवाब में केवल व्याकरण की त्रुटियां सुधारी है.
गिरिडीह के निवासी अजित कुमार जो बैंगलोर में कार्यरत हैं
मैं गिरिडीह झारखंड का मूल निवासी हूं और बिरनी के एक छोटे से गांव चारगो में पैदा हुआ हूं. मैंने अपनी स्कूली शिक्षा गिरिडीह जिले के विभिन्न ब्लॉकों से की है क्योंकि मेरे पिता राज्य सरकार के कर्मचारी के रूप में विभिन्न ब्लॉकों में कार्यरत थे.
वहीं, एनआईटी त्रिची से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन करने के बाद, मैंने विभिन्न भारतीय शहरों और दुबई में विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया. वर्तमान में मैं ऑस्ट्रेलिया स्थित एक कंपनी में आर्किटेक्ट के रूप में काम कर रहा हूं और एक दशक से बैंगलोर में रहता हूं. चूंकि आम चुनाव नजदीक है, इसलिए निर्वाचित प्रतिनिधियों से मेरी अपेक्षा है कि दो मोर्चों- स्वास्थ्य और शिक्षा में बुनियादी स्तर पर बदलाव होने चाहिए.
विरासत बनाने और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए, स्वास्थ्य और शिक्षा दो सबसे बुनियादी स्तंभ हैं, हालांकि हमारे राज्यों के साथ-साथ जिले दोनों का प्रदर्शन इस मामले में सबसे खराब है. मैंने अपने राज्य से हजारों लोगों को गंभीर बीमारियों के बेहतर इलाज के लिए दक्षिणी राज्य में जाते देखा है. दक्षिणी राज्य में बेहतर बुनियादी ढांचा, अच्छे डॉक्टर, साफ-सुथरे अस्पताल हैं और हम वहां कहीं नहीं हैं. इसलिए हमें दक्षिणी राज्यों का उदाहरण लेते हुए स्वास्थ्य पर सर्वोच्च प्राथमिकता पर ध्यान देना चाहिए.
समाज का दूसरा स्तंभ शिक्षा है और फिर हम यहां भी एक विफल राज्य हैं. जनसंख्या को अभी भी अच्छी प्राथमिक शिक्षा में जगह नहीं मिल पाई है, आज लाखों छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल की डिग्री लेने के लिए एमपी, ओडिशा, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे विभिन्न राज्यों में जाते हैं, जबकि हमारे राज्य में केवल 3-4 अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, 2-3 अच्छे मेडिकल कॉलेज हैं.
हमें प्राथमिक के साथ-साथ उच्च शिक्षा प्रणाली और बेहतर मेडिकल कॉलेजों के बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए. अगर हम इन दो मोर्चों पर काम कर सकते हैं तो मुझे यकीन है कि हम बेरोजगारी, मृत्यु दर, प्रवास और समृद्ध समाज की दिशा में प्रगति जैसे कई अन्य मुद्दों को कम कर सकते हैं.
गिरिडीह निवासी कुंदन गौतम जो विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय निवेशक बैंकों में काम कर चुके हैं और अपने राज्य से बाहर रहते हैं
मैं गिरिडीह, झारखंड में जन्मा और मेरा पालन-पोषण भी इसी राज्य में हुआ. मेरे पिता के नौकरी के कारण, मेरे स्कूली दिनों में मुझे झारखंड के कई शहरों में रहने का मौका मिला. मैंने धनबाद, देवघर, रांची और पड़ोसी राज्यों जैसे भागलपुर, बिहार और दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल भी जाने का अबसर प्राप्त हुआ. मैंने अपनी टेक्नोलॉजी की मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद IIT खड़गपुर से लंदन आधारित बैंक बार्क्लेज में विश्लेषक के रूप में शामिल हुआ और फिर HSBC बैंक में निवेश कार्यों में काम किया, फिर सीटी बैंक में व्यापार और खजाने के कार्य में शामिल हुआ और वर्तमान में भी एख अंतर्राष्ट्रीय निवेशक बैंक में कार्यरत है.
झारखंड सिर्फ 24 साल का राज्य है, मैं इसे एक युवा राज्य कहूंगा. एक राज्य जो भारत में उत्पन्न होने वाले कुल खनिजों का 40% हिसाब रखता है, एक राज्य जिसमें पहला योजनाबद्ध शहर जमशेदपुर के रूप में है, एक राज्य जब महामारी के दौरान ऑक्सीजन की तीव्र कमी थी, तो खड़ा रहा. एक राज्य जो देश में सम्मान कमाने वाले सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बल्लेबाज कप्तान एमएस धोनी और तीरंदाज पेशेवर दीपिका कुमारी जैसे खिलाड़ियों को दिया है, जिन्होंने देश के लिए वैश्विक मंच पर सम्मान कमाया है, अब एक सक्षम नेतृत्व और प्रतिनिधियों एमपी/एमएलए की प्रतीक्षा कर रहा है ताकि झारखंड को उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अभाव के कारण युवाओं को राज्य छोड़ने की आवश्यकता न हो.
राज्य की स्थापना के बाद हर एक पार्टी ने इस पर शासन किया है लेकिन लोगों की मौलिक आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया गया है.
पिछले 10 वर्षों में सड़क और रेलवे कनेक्टिविटी और एम्स के खुलने के संकेत के दृष्टिकोण से चीजें बदल चुकी हैं, लेकिन बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. नीचे कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें मैं चाहता हूं कि जो भी सत्ता में आता है, वह उन्हें बेहतर कल के लिए धकेल सके.
1. भारतीय सांख्यिकी संस्थान में ग्रेजुएट और मास्टर प्रोग्राम शामिल करके डेटा रिसर्च लैब की आवश्यकता है.
2. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रकाशित एक लेख के अनुसार, भारत में 2024 के अंत तक अतिरिक्त 4.3 मिलियन कर्मचारियों की आवश्यकता का अनुमान लगाया गया है, झारखंड एक विश्वस्तरीय नर्सिंग संस्थान गठित करके एक भूमिका निभा सकता है जो उन लोगों को रोक सकता है जो अन्य राज्यों में प्रवास करना चाहते हैं जो नर्सिंग का अध्ययन करने की इच्छा रखते हैं.
3. बेहतर खेल संरचना प्रदान करके
4. विभिन्न राज्यों के तीर्थ स्थलों में झारखंड भवन बनाकर राज्य के लोगों को आवास प्रदान करना जब वे यात्रा करते हैं, जैसे कि गुजरात की तरह.
इनकी सोच पर आपकी क्या राय है आप हमें जरूर बताएं.
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