ओबीसी एकता अधिकार के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मदेव प्रसाद ने आज रांची में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ओबीसी एकता अधिकार मंच (OBC Ekta Adhikar Manch) राज्य की सभी 81 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। हमारा राज्य ओबीसी बहुल है इसलिए स्वाभाविक रूप से हम राजनीति में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे, यह हमारा दायित्व भी है।
ओबीसी समाज ने आंदोलन के दौरान हर तरह की कुर्बानी दी है : ब्रह्मदेव प्रसाद
उन्होंने कहा कि ओबीसी समाज के साथ और विश्वास से ही इस राज्य का सर्वांगीण विकास संभव है। इस समाज ने झारखंड अलग राज्य आंदोलन से लेकर जनहित से जुड़े हर मुद्दे पर हर तरह की कुर्बानी दी है। आज इस सरकार के कार्यकाल में ओबीसी को उनका हक अधिकार नहीं मिल रहा है। समाज के लोगों की राजनीतिक सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ ही हम अपने समाज को हक अधिकार दिलाने के लिए भी निरंतर संघर्ष करेंगे।
हम ओबीसी समाज के हक-अधिकार के लिए कृत संकल्पित : ब्रह्मदेव प्रसाद
वहीं, मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में यह लंबे समय से यह प्रोपगेंडा फैलाया गया कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। पलामू प्रमंडल और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के रांची सहित कई अन्य जिलों में ओबीसी की आबादी करीब 65 प्रतिशत है। पूरे राज्य के अन्य हिस्सों में हमारी आबादी करीब 52-53 प्रतिशत है। हम ओबीसी समाज के हक-अधिकार के लिए कृत संकल्पित हैं। इससे हमें कोई डिगा नहीं सकता। अब ओबीसी समाज राजनीति में प्रमुख रूप से अपनी भूमिका अदा करेगा क्योंकि हमारे समाज के बिना राज्य में सरकार नहीं बन सकती।
पलामू प्रमंडल में 11 सीटों पर हमारे प्रत्याशी मजबूती से लड़ेंगे चुनाव
ब्रह्मदेव प्रसाद ने कहा कि अनारक्षित सीटों पर हम ओबीसी प्रत्याशी देंगे। इसके अलावा जहां आरक्षित सीट है, वहां हम ओबीसी एकता अधिकार मंच के समर्थित प्रत्याशियों को टिकट देने का काम करेंगे। उन्होंने दावा किया कि पलामू प्रमंडल में 11 सीटों पर हमारे प्रत्याशी मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
राज्य सरकार नगर निकाय चुनाव को टालने का कर रही प्रयास
उन्होंने कहा कि 2020 से लटक रहे नगर निकाय चुनाव को टालने का राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। झारखंड हाई कोर्ट के बार-बार फटकार लागने के बावजूद बावजूद सरकार कोई न कोई बहाना बनाकर चुनाव से पल्ला झाड़ना चाह रही है। इससे सरकार की मंशा का पता चलता है। सरकार ने ऐसा कर के विकास की रफ़्तार पर विराम लगा दिया। जनप्रतिनिधि नहीं होने के चलते कार्यालयों में अफसरशाही बढ़ी है जिसका नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है। पैसे के बल पर मन पसंदीदा पोस्टिंग पाने वाले अधिकारियों के मन से कार्रवाई का डर समाप्त हो गया है। यही वजह है कि अधिकारी खुले आम जनता का काम करने से मन कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार ओबीसी को समुचित आरक्षण देने की वकालत करती है वहीं दूसरी ओर कोर्ट में निकाय चुनाव को रोकने पर भी आमादा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जनवरी में राज्य में एक साथ सभी नगर निकायों का चुनाव कराने का निर्णय लिया था, जिसकी तैयारी फरवरी 2023 में लगभग पूरी हो चुकी थी। ऐन वक्त पर पदों के चक्रीय आरक्षण के मुद्दे पर पेंच फंसने के बाद इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया। सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट कराने के मुद्दे पर इसे टालती रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का कोर्ट में यह कहना कि राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त है, यह कितना हास्यास्पद है। उन्होंने सवाल उठाया कि आयुक्त का पद खाली है तो, इसकी जवाबदेही किसकी है? सरकार इतने दिनों से क्या कर रही है?
ये रहें मौजूद
ब्रह्मदेव प्रसाद ने सरकार से आग्रह किया कि कोर्ट के आदेश को सरकार नजरअंदाज नहीं करे और जल्द से जल्द निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करे। उन्होंने कहा कि ओबीसी एकता अधिकार मंच नगर निकाय के चुनाव में भी बढ़चढ़ कर भाग लेगा। नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत के चुनाव में जनसंख्या के अनुपात में हमारी सहभागिता होगी। महिलाओं को इस चुनाव में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी देने पर विचार किया जा रहा है। इस दौरान श्रवण कुमार केंद्रीय महासचिव, राकेश कुमार, पंकज साहू, पंचु साहू, नवजीवन यादव, हरिनारायण प्रसाद, हिमालय कुमार, शुभम प्रसाद एंव अन्य लोग उपस्थित थे।
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